अपने सभी अच्छी यादों को याद करता हूं। अच्छे से कपड़े पहनें, शेव किए हुए सुबह नर्सिंग होम में एक 91 साल के बुजुर्ग आते थे। उनकी पत्नी 70 साल की थीं और हाल में उनका निधन हुआ था। उनके निधन के बाद से उनकी तबीयत भी खराब ही रहती थी। इसलिए हॉस्पिटल में दिखाने आते रहते थे। एक दिन उन्हें आंखों का ऑपरेशन कराना था। लॉबी में कई घंटों के इंतजार करने के बाद भी वो हमेशा धैर्यपूर्वक ही बैठे रहे। जैसे ही नर्स ने उन्हें बताया कि आपका रुम तैयार है और रुम के बारे में बताया तो उन्होंने कहा, ओह आई लव इट। उनका उत्साह गजब का था, ऐसा उत्साह जैसे किसी 8 साल के बच्चे को नया पप्पी मिलने पर होता है। नर्स बोली, अभी तो आपने रुम देखा ही नहीं, फिर कैसे वो आपको अच्छा लग गया। इस पर उस बुजुर्ग ने कहा, मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है, खुशी बस उसमें है जिसमें आपको अच्छा लगता है। चाहे मेरा रुम सही हो या नहीं, फर्नीचर सही से लगा हो नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैंने अपना माइंड बना लिया है। यही फैसला है जो मैं रोज सुबह करता हूं, मैं चाहूं तो बिस्तर पर अपने बाकी बचे हुए दिन गिनूं। लेकिन मैं हर दिन को एक गिफ्ट की तरह समझता हूं और हर नए दिन को उसी जोश और उत्साह के साथ जीता हूं। हर नए दिन को मैं नए दिन पर फोकस करता हूं और अपने सभी अच्छी यादों को याद करता हूं।
एक कैलेण्डर वर्ष में सामान्यतया 14 दिन का आकस्मिक अवकाश दिया जा सकता है। एक समय में 10 दिन से अधिक का आकस्मिक अवकाश विशेष परिस्थितियों में ही दिया जाना चाहिए। आकस्मिक अवकाश के साथ रविवार एवं अन्य छुट्टियों को सम्बद्ध किये जाने की स्वीकृति दी जा सकती है। रविवार, छुट्टियों एवं अन्य अकारी दिवस यदि आकस्मिक अवकाश के बीच में पड़ते हैं तो उन्हें जोड़ा नही जायेगा।