मन की गति से तेज शायद कुछ भी नहीं । आपके सोचते ही मन क्षण भर में पूरी दुनिया के चक्कर लगा सकता है । मन आपकी सारी इन्द्रियों के विषयों को याद रख सकता है । मन ही आपको किसी विषय के प्रति प्रेरित करता है । इसीलिए मन को ग्यारहवीं इन्द्रिय भी कहा जाता है
बुद्धि –बुद्धि कहते है – निर्णय करने की क्षमता कहा जा सकता है । बुद्धि की सबसे बड़ी ताकत तर्क है किसी भी बात का निर्णय करने में बुद्धि ज्ञान, अनुभव, कारण, प्रमाण, तत्थ्य, तर्क, पात्र, क्षमता और परिस्थिति आदि मापदंडो का उपयोग करती है ।
चित्त – स्वभाव, आदतों और संस्कारो के समुच्चय को चित्त कहते है लम्बे समय तक एक ही प्रकार की इच्छाओं के कार्यरत होने से मनुष्य को उनकी आदत हो जाती है । जो विचार, आदत या संस्कार चित्त में पड़ जाता है, उससे पीछा छुड़ाना बहुत कठिन होता है मनुष्य के इसी चित्त को चित्रगुप्त देवता कहा जाता है । जो उसके पाप और पूण्य का लेखा – जोखा रखता
अहंकार – अहंकार का मतलब होता है, अपने स्वयं के सम्बन्ध में मान्यता । जैसे खुद से प्रश्न कीजिये कि “ मैं कौन हूँ ?” अब आपके सबके अलग – अलग जवाब होंगे । जैसे किसान, शिक्षक, डॉक्टर, इंजिनियर, मुखिया, सरपंच, मुख्यमंत्री, नेताजी, पिता आदि । अगर आप गौर से देखे तो आपको पता चलेगा कि आपकी हर इच्छा का सम्बन्ध आपके अहंकार से है ।
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