आकाश एक ऎसा क्षेत्र है जिसका कोई सीमा नहीं है। वात तथा कफ इसकी धातु हैं। आकाश शब्द का अर्थ रिक्त स्थान है।आकाश का विशेष गुण “शब्द” है और इस शब्द का संबंध हमारे कानों से है शब्द जब हमारे कानों तक पहुंचते है तभी उनका कुछ अर्थ निकलता है ।इस परिवर्तन का प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ता है। इसलिए आकाश कहें या अवकाश कहें या रिक्त स्थान कहें
वायु इसके अधिकार क्षेत्र में श्वांस क्रिया आती है।वात इस तत्व की धातु है।यह धरती चारों ओर से वायु से घिरी हुई है। वायु में मानव को जीवित रखने वाली आक्सीजन गैस मौजूद होती है।जीने और जलने के लिए आक्सीजन बहुत जरुरी है। मस्तिष्क तक आक्सीजन न पहुंच पाई तो बहुत सी कोशिकाएँ नष्ट हो सकती हैं। प्राचीन समय से ही विद्वानों ने वायु के दो गुण माने हैं. वह है – शब्द तथा स्पर्श। वायु के देवता भगवान विष्णु माने गये हैं।
अग्नि का अधिकार क्षेत्र जीवन शक्ति है। इस तत्व की धातु पित्त है। हम सभी जानते हैं कि सूर्य की अग्नि से ही धरती पर जीवन संभव है। इसी अग्नि के प्रभाव से पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ बनती हैं। ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत अग्नि तत्व है।सभी प्रकार की ऊर्जा चाहे वह सौर ऊर्जा हो या आणविक ऊर्जा हो या ऊष्मा ऊर्जा हो सभी का आधार अग्नि ही है।अग्नि के देवता सूर्य अथवा अग्नि को ही माना गया है।
जल यहाँ रस का अर्थ स्वाद से है। स्वाद या रस का संबंध हमारी जीभ से है।इन दोनों का अधिकार रुधिर अथवा रक्त पर माना गया है क्योंकि जल तरल होता है और रक्त भी तरल होता है।कफ धातु इस तत्व के अन्तर्गत आती है ।पृथ्वी पर मौजूद सभी प्रकार के जल स्त्रोत जल तत्व के अधीन आते हैं। विश्व की सभी सभ्यताएँ नदियों के किनारे ही विकसित हुई हैं।जल के देवता वरुण तथा इन्द्र को माना गया है।
पृथ्वी इस तत्व का कारकत्व गंध है।इस तत्व के अधिकार क्षेत्र में हड्डी तथा माँस आता है।इस तत्व के अन्तर्गत आने वाली धातु वात, पित्त तथा कफ तीनों ही आती हैं। पृथ्वी एक विशालकाय चुंबक है। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा में भार बढ़ाने पर अधिक बल दिया जाता है। हो सकता है इसी कारण दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया हैजल यदि सुख प्रदान करता है तो संबंधों की ऊष्मा सुख को बढ़ाने का काम करती है और वायु शरीर में प्राण वायु बनकर घूमती है। आकाश महत्वाकांक्षा जगाता है तो पृथ्वी सहनशीलता व यथार्थ का पाठ सिखाती है।
AMIT