लक्ष्मी को चचंला कहने का उद्देष्य यह है कि वह कहीं एक स्थान पर स्थिर नहीं रहतीं । लक्ष्मी अगर एक स्थान पर स्थिर हो जाए तो मानव जीवन से पुरूशार्थ ही समाप्त हो जाये । लक्ष्मी के चंचल होने के कारण ही जीवन में गति है, परिश्रम है, भाग्य पर विष्वास है ।
PRAVEEN CHOPRA