चंदन की लकड़ी अत्यन्त षीतल (ठंडी) होती है । उसकी ठंडक के कारण लोग चंदन को घिसकर मस्त (ललाट) पर लगाते है ं जिसके दिन भर दिमाग को षीतलता प्राप्त होती है । इतना ही नहीं चंदन की षीतलता विष्व प्रसिद्ध है । चंदन के वृक्ष की षीतलता पाने के लिए विशधर (सर्प) हमेषा चंदन के वृक्ष से लिपटे रहते है । मृतक की आत्मा की षान्ति के लिए चंदन मुख पर रखकर अग्नि देने का उदेष्य होता है । लोगों का यह विष्वास है कि मृतक के मुख पर रखकर अग्नि के हवाले करने से मृतक को स्वर्ग में चंदन की षीतलता प्राप्त होती है ।
मृतक षरीर जलाते समय मांस और हड्डियों के जलने से अत्यन्त तीव्र दुर्गन्ध फैलती है जिससे महाँं उपस्थित लोगों का वहां आसपास रह पाना मुष्किल हो जाता है । चन्दन की लकड़ी के जलने से सुगन्ध फैलती है । चन्दन की सुगन्ध से मांस और हड्डी के जलने से उठने वाली दुर्गन्ध यदि पूरी तरह खत्म नहीं होती तो कम अवष्य हो जाती है ।
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