मुनि कौन ? जो जागृत है , वह मुनी है , जिसका मन मौन हो गया है , वह मुनि है । एक संन्यासी और संसारी में केवल इतना ही तो अंतर होता है कि जो भटकते रहें लेकिन मन एक जगह टिका रहे , वह संन्यासी है और जिसके पैर एक जगह टिके रहें और मन दुनियाभर में भटकता हो वह संसारी है । जो मन को मना ले वह मुनि और मन जिसको मना ले वह संसारी है । मन पर नियंत्रण कर लेना ही मुनित्व है ।
PRAVEEN CHOPRA