श्रीमद्भागवत में लिखा है -विधि-विधान, वस्तु की न्यूवता, विधि-विधान की त्रुटि जो भी हो वह केवल हरिओम कहने से दूर हो जाती है । ¬ प्रणव है । इसकी तीनों भुजाओं में ब्रह्मा, विश्णु और महेष का वास है । वेद पुराण की ऋचनाओं ,मत्रों के अषुद्ध उच्चारण पर जो महापातक जैसा भयंकर दोश लगता है वह भी हरिओम कहने से दूर हो जाता है । वेद , पाठ मंत्र जाप, या अन्य षुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले हरिओम कहने की सनातन परम्परा है े।
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