इस संदर्भ में अनेक कथाएं षास्त्रों में प्राप्त होती है । एक बार पृथ्वी पर भ्रमण के मध्य माता पार्वती ने भगवान षंकर से पूछा, ‘हे प्रभु! इस धरती पर मानव दुःखी क्यों होता है ?’
पार्वती की बात भगवान रूद्र को समझ में आ गई और कहने लगे ,‘प्रभु! मनुश्य को सब कुछ दिया है परन्तु उसकी तृश्णा उसे किसी भी प्रकार सुखी नहीं रहने देती है । ’ अतः हमें सदैव इस तृश्णा से बचकर रहना चाहिए । जो कुछ भगवान ने हमें दिया है उसी में उसको सुख पूर्वक रहना चाहिए ।
वास्तव में व्यक्ति के पास जो कुछ है उसका उपयोग करके सुखी नही रहना चाहता बल्कि जो कुछ उसके पास नही है ,उसकी इच्छा में डूबा रहता है ,यह उसकी तृश्णा है । यही उसके दुखो का कारण है ।
PRAVEEN CHOPRA