यम १. अहिंसा (किसी सज्जन और बेगुनाह को मन, वचन या कर्म से दुःख न देना) २. सत्य (जो मन में सोचा हो वही वाणी से बोलना और वही अपने कर्म में करना) ३. अस्तेय (किसी की कोई चीज विना पूछे न लेना) ४. ब्रह्मचर्य (अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना विशेषकर अपनी यौन इच्छाओं पर पूर्ण नियंत्रण) ५. अपरिग्रह (सांसारिक वस्तु भोग व धन आदि में लिप्त न होना)
नियम १. शौच (मन, वाणी व शरीर की शुद्धता) २. संतोष (पूरे प्रयास करते हुए सदा प्रसन्न रहना, विपरीत परिस्थितियों से दुखी न होना) ३. तप (सुख, दुःख, हानि, लाभ, सर्दी, गर्मी, भूख, प्यास, डर आदि की वजह से कभी भी धर्म को न छोड़ना) ४. स्वाध्याय (अच्छे ज्ञान, विज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास करना) ५. ईश्वर प्रणिधान (अपने सब काम ऐसे करना जैसे कि ईश्वर सदा देख रहा है और फिर काम करके उसके फल की चिंता ईश्वर पर ही छोड़ देना)
PRAVEEN CHOPRA