प्रभु की कृपा से जो कुछ भी अन्न-जल हमें प्राप्त होता है उसे प्रभु का प्रसाद मानकर प्रभु को अर्पित करना , कृतज्ञता प्रकट करने के साथ मानवीय सद्गुण भी है । भगवान को भोग लगाकर ग्रहण कियाजाने वाला अन्न दिव्य माना जाता है । भगवान को प्रसाद चढ़ाना आस्तिक होने के गुण को परिलक्षित करता है ।
PRAVEEN CHOPRA