जिस प्रकार षराब, भाँग ,गँाजा , अफीम आदि पदार्थाें में मादकता नषा होता है उसी प्रकार अन्न में भी मादकता होती है । षायद कुछ लोग इस बात को न जानते हों ,किन्तु यह सत्य है कि अन्न में मादकता होती है । आप भोजन करने के बाद षरीर में षिथिलता और आलस्य महसूस करते होंगे जबकि सिर्फ फलाहार या मात्र दूध का सेवन करने से आलस्य नहीं महसूस होता । अन्न की मादकता कम करने के लिए ही पूर्वकाल के मनीशियों ने उपवास व्रत को प्राथमिकता दी । उपवास करने से षरीर की मादकता कम होती है जिससे षुद्धता आती है और मन धार्मिक कार्यों में लगता है रात्रि जागरण का अर्थ निद्रा और आलस्य को त्यागने से है प्राचीन काल के ऋशि महर्शियों ने अपनी कठिन तपस्याओं के पष्चात यह निश्कर्श निकाला कि निद्राकाल को ‘काल’ का स्वरूप जानों , क्योंकि इन्सान की आयु ष्वांसों पर निर्धारित है । प्रत्येक इन्सान का परमात्मा की ओर से एक निष्चित ष्वांसें ही मिली है और जागृत जागते हुए अवस्था से ज्यादा ष्वासें सुप्तावस्था सोये हुए में नश्ट होती है जितनी ष्वांसें आप बचायेंगे आपकी आयु उसी हिसाब में बढ़ती चली जायेगी । आपने प्रमाण भी देखा होगा कि कुछ ऋशि-मुनि एक सौ पचास वर्शों तक या उससे ज्यादा जीवित रहे । क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया कि ऐसा क्यों ? हम आप क्यों नहीं जीवित रह सकते ? इसका एक मात्र कारण है योगासन । इस प्रकार उनकी आयु बढ़ती चली जाती थी । आप भी योगासान करके लम्बी आयु प्राप्त कर सकते है । वैज्ञानिक और डाॅक्टर भी योगासान को महत्व देते है । कभी -कभी उपवास भी करने को कहते है, जिससे षरीर की पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे ।
PRAVEEN CHOPRA