पहाड़ों का क्षेत्र बहुत ही रम्य-सुरम्य होता है । वहाॅं का वातावरण बहुत सुन्दर होता है । पहाड़ी क्षेत्रों में ऊॅंचे- ऊॅंचे पेड़-पौधे और सुन्दर पुश्पों से क्षेत्र की सुन्दरता और अधिक बढ़ जाती है । पहाड़ों के ऊॅंचे टीले आदि देखकर मन प्रसन्न हो जाता है । ऐसे सुन्दर मनोरम स्थान पर देवी-देवताओं का वास हो तो दर्षनार्थी (दर्षन करने वाले का मन) मन वह सुन्दर दृष्य देखकर पहले ही प्रसन्न हो जाता है ,उसके बाद मंदिर में प्रवेस करने पर पूर्ण षन्ति मिनती है । चहल-पहल और पापमय जिन्दगी से दूर पहड़ी क्षेत्र में लोग षन्ति के लिए जाते है । और वहां देवी- देवताओं का दरबार हो तो बात ही निराली है । देवी- देवता मनुश्य से दूर नहीं रहना चाहते बल्कि उन्हें एकान्त में बुलाकर षन्ति प्रदान करने का मार्ग प्रदान करते है । जहाॅं चारों तरफ चिल्ल-पों होती रहगी तो वहाॅं देवी-देवता का ध्यान या पूजा करने हेतु आप चाहकर भी अपने मन को एकग्र नहीं कर सकते । मन की एकग्रता के लिए एकान्त स्थान ही उत्तम होता है । पूर्वकाल में ऋशि -महर्शि भी पहाड़ों पर की कन्दराओं और वनों में रहकर तप करते थे ।
PRAVEEN CHOPRA