क्योकि हमारी धार्मिक मान्यताओें के अनुसार मृतक का सिर उत्तर दिषा की ओर रहता है ।वैज्ञानिक मतानुसार उत्तरी ध्रुव चुम्बकीय क्षेत्र का सबसे षक्तिषाली ध्रुव है । उत्तरी ध्रुव के तीव्र चुम्बकत्व के कारण ,मस्तिश्क की षक्ति नश्ट हो जाती है ।अतः उत्तर की ओर सिर करके सोना वर्जित कहा जाता है ।
मृत्युकाल के समय मनुश्य को उत्तर की ओर सिर करके इसलिए लिटाते है । कि प्राणों का उत्सर्ग दषम द्वार से हो । चुम्बकीय विद्युत प्रवाह की दिषा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है । कहते है मृत्यु के पष्चात भी कुछ क्षणों तक प्राण मस्तिश्क में रहते है । अतः उत्तर दिषा में सिर करने से ध्रुवाकर्शण के कारण प्राण सरलतापूर्वक निकल जाता है ।
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