सूर्य नमस्कारॐ मित्राय नम: ॐ रवये नम: ॐ सूर्याय नम: ॐ भानवे नम: ॐ खगाय नम: ॐ पूष्णे नम: ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ॐ मरीचये नम: ॐ आदित्याय नम:सर्वमंगल मंत्रॐ मंगलम् भगवान विष्णुरू मंगलम् गरूड़ध्वजरू।मंगलम् पुण्डरीकांक्षरू मंगलाय तनो हरि।।आदिशक्ति वंदना सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।शिव स्तुति कर्पूर गौरम करुणावतारंए संसार सारं भुजगेन्द्र हारं। सदा वसंतं हृदयार विन्देए भवं भवानी सहितं नमामि।।महामृत्युंजय मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। गुरु को प्रसन्न करने का मंत्रत्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव॥अन्न ग्रहण करने से पहलेॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु ।सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्तु ।मा विद्विषावहै ॥ॐ शान्तिरू शान्तिरू शान्तिरूरू ॥क्षमा प्रार्थना मन्त्रमन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन ।यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।अन्नपूर्णा मन्त्रअन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।ज्ञानवैराग्यसिद्ध्य भिक्षां देहि च पार्वति ।।स्वास्थ्य प्राप्ति मन्त्रअच्युतानन्द गोविन्द नामोच्चारण भेषजात ।नश्यन्ति सकला रोगाःसत्यंसत्यं वदाम्यहम् ।सफ़लता प्राप्ति मन्त्र कृष्ण कृष्ण महायोगिन्भक्तानाम भयंकर गोविन्द परमानन्द सर्व मे वश्यमानय ।।
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra in Hindi)ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात॥
प्रात: कर-दर्शनम् कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम्।
- पृथ्वी क्षमा प्रार्थना समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते। विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव
स्नान मंत्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
: दीप दर्शन शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।। दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।
व्रत रखने से पांचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैँए जिससे हमारा पांचन तंत्र ठीक रहता है। उपवास रखने से शांत और स्थिर रहने का अवसर भी मिलता है जिसके कारण मानसिक तनाव भी नहीं रहता।
सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है पकाया हुआ भोजन यदि ३.४ घंटे के भीतर सेवन किया जाता है तो इसे सात्विक माना जाता है उदाहरण . ताजे फलए हरी पत्तेदार सब्जियाँ बादाम आदिए अनाज और ताजा दूधराजसिक आहार ये आहार शरीर और मस्तिष्क को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं इनका अत्यधिक सेवन शरीर में अतिसक्रियता इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता भ्रम और भटकाव महसूस होता है अतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं उदाहरण . मसालेदार भोजन अत्यधिक मीठा भोजन प्याज चाय कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ तामसिक आहार तामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैं इनके अत्यधिक सेवन से बेचैनी क्रोध चिड़चिड़ापन अनिद्रा इत्यादि लाते हैं बासी या पुनरू गर्म किया गया भोजन तेल या अत्यधिक भोजन और कृत्रिम परिरक्षकों से युक्त भोजन इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं उदाहरण . मांसाहारी आहार प्याज लहसुन बासी भोजन वसा का अत्यधिक सेवन तेलयुक्त और अत्यधिक मीठा भोजन
हिन्दू धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्देश्य से है ('पुरुषैर्थ्यते इति पुरुषार्थः')। पुरुषार्थ = पुरुष+अर्थ = अर्थात मानव को 'क्या' प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रायः मनुष्य के लिये वेदों में चार पुरुषार्थों का नाम लिया गया है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसलिए इन्हें 'पुरुषार्थचतुष्टय' भी कहते हैं।
मंत्र क्या है ?मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है…