षिखा वाले स्थान पर ‘ब्रह्म रन्ध्र’ होता है जिसे ‘दषम द्वार’ भी कहते है । तनिक चोट भी स्थान पर लगने से मनुश्य की मृत्यु भी हो सकती है । दषमद्वार की रक्षा हेतु षिखा रखने का विधान है । यह ऐरियल का कार्य भी करती है । षिखा रखने वाले लोग प्रायः मंदबुद्धि नहीं होते है ।
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