दानवीर वह होता है , जो अभाव से लड़े । कर्मवीर वह है जो आलस्य से लड़े । धर्मवीर वह है जो अज्ञानता से लड़ता है । अगर आप चारों वस्तुएं अपना सकते है तो आप सबसे बढ़ कर दानी है । जो दानी है ,जो दाता है ,उसका स्थान तो दुनिया में सबसे बड़ा है ।दूसरों पर कृपा करते हुए महान बनो ,लेकिन अपना हाथ फैलाकर स्वयं को कभी नीचा मत करो , क्योंकि हाथ फैलाने से आप नीचे हो जाएगे । हाथ उठाकर देने से आप महान हो जाएंगे । देकर अपने सुख को और बढ़ाइए । धन का दान हो सकता है ।ज्ञान का दान हो सकता है । दूसरों को अच्छे कर्म में प्रवृत करने का प्रयत्न कीजिए । प्रयत्न कीजिए कि आलस्य का हनन किया जाये । किसी भी भाई के कार्यों में ,सेवा के कार्यों में अपने मन को लगाएं । यह बहुत बड़ा दान है । जो ऐसे सद्कर्म करता है वही दानवीर कहलाता है ।
PRAVEEN CHOPRA