विष्वकर्मा की पूजा करके ही षिल्पी कार्य का षुभारम्भ करते हैं ,क्योंकि प्रभु ही विष्व के निर्माता है, अर्थात विष्वकर्मा । इन दो षब्दो की सन्धि से विष्वकर्मा हुए । षास्त्रों के अनुसार विष्वकर्मा जी देव षिल्पी है । उन्होंने औजारों का निर्माण किया । उन्होने ही ‘वस्तु कला वेद’ को जन्म दिया । विष्वकर्मा ने घृताची अप्सरा से विवाह करके अनेक पुत्रों को उत्पन्न किया । वे सभी षिल्पी ,राज कारीगर और धातु के कारीगर हुए ,उनके वंषज आज भी अपना नाम ‘विष्वकर्मा ’ ही लिखते है
PRAVEEN CHOPRA