एक आंख से काना ,व्याभिचारिणी ,नग्न, पापी, खाली पात्र , विधवा का दर्षन प्रात:काल अषुभ माना जाता है ।
प्रातः किस वस्तु का दर्षन षुभ है ?
कलष, कूड़ा ,अर्थी-इनका दर्षन प्रायः षुभ बतलाया गया है ।
तैंतीस करोड़ देवताओं की मान्यता क्यों है?
अश्टवसु, एकादष रूद्र, द्वादष आदित्य ,इन्द्र और प्रजापति नाम से तैंतीस संख्या वैदिक देवताओं की कही गयी है ।प्रत्येक देवता की विभिन्न कोटियों की दृश्टि से तैंतीस करोड़ संख्या लोक -व्यवहार में प्रचलित हो गयी । कुछ विद्वानों के कथनानुसार आकाष में तैंतीस करोड़ तारे है ,उन्हे ही तैंतीस करोड़ देवता कहते है ।
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