शूद्र (कर्मचारी) को उसके कार्य से परिचित करवाना पड़ता है। पशु को सिखाना पडता है कि उन्हें क्या कार्य करना है और कैसे खेत जोतना है। इसी तरह नारी के विषय में कहा है कि उनके स्वभाव को पहचानना और समझना पडता है। इन सबको सिखाना पड़ता है और निर्देशित करना पड़ता है तथा विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
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