वेदपुराण और धार्मिक ग्रन्थों के मतानुसार , पृथ्वीलोक कर्मभूमि है । इस कर्म भूमि पर मानव जैसा कर्म करेगा (चाहे वह पुण्य जन्य कर्म हो या पाप जन्य ) वैसा ही फल उसे मृत्यु के बाद प्राप्त होगा । अच्छा कर्म किये रहेगा तो अच्छा फल प्राप्त होगा , बुरा कर्म करेगा तो मृत्यु के बाद जीव (प्राण)की दुर्गति होगी । यह सब धर्म-ग्रन्थों की लिखी बातें है जिस पर कुछ लोग तो विष्वास करते है और कुछ लोग विष्वास नहीं करते । वे प्रमाण माँगते है कि मरने के बाद कैसे स्वर्ग और नर्क की प्राप्ति होती है प्रमाणित करके दिखाओं? उनका कथन किसी हद तक सही भी है कि जिन चीजों का हमें ज्ञान ही नहीं है उन पर कैसे विष्वास कर लें ! प्राचीनकाल से लोग यह कहते आ रहे हैं कि आँखों देखी बात को ही सत्य मानना चाहिए । लेकिन कलियुग में स्वयं उसने अन्य युगों से कहा है कि मेरे युग में अन्य युगों की तरह अगले जन्म का कोई चक्कर ही नहीं रहेगा । जो जैसा करेगा उसका तुरन्त फल उसे प्राप्त होगा । स्वर्ग और नर्क मरने के बाद कैसाद्य जो फल होगा तुरन्त मिलेगा । परिश्रम करोगे तो धनवान बनोगे । संतों की संगत करोगे तो सम्मान प्राप्त करोगे । किसी का धन छीनोगे तो कोई तुम्हारे घर में डाका डाल देगा , चोरी करके तुम्हारा असबाब उठा ले जायेगा । किसी का कत्ल करोगे तो उसके भाई -बन्धु तुम्हें या तुम्हारे परिवार वालों को मार डालेगे । और ऐसा ही हो रहा है । प्रमाण की कोई आवष्यकता नहीं , कलियुग का निर्णय सभी लोग अपनी आँखों से देख रहे है । कोई अल्पायु में मर जा रहा है तो कोई अल्पायु में मर जा रहा है तो कोई रोग ग्रसित होकर । वेष्यागमन करने वाले अनेक रोगों से ग्रसित होकर एड़ियाँ घिस-घिसकर मरते है । ऐसे -ऐसे रोग उत्पन्न हो रहे है जिससे ग्रस्त इंसान प्रतिदिन मौत की कामना करता है लेकिन मौत नही आती । ये सभी नर्क नही ंतो और क्या है -और जो हर प्रकार का सम्पन्न है वह स्वर्ग समान सुख का उपभोग कर रहा है । जिस स्वर्ग और नर्क की लोग कल्पना करते हैवह यहीं पृथ्वी पर ही है । मरने के बाद पंचतत्वों से बना षरीर पुनः पंचतत्वों में विलीन हो जाता है, अर्थात षरीर का जो भाग जिससे बना था उसी में जाकर मिल गया है ।
PRAVEEN CHOPRA